Success Story: बंजर जमीन और ₹13 लाख का कर्ज, अब सालाना ₹2 करोड़ कमाता है ये किसान

Business Success Story: आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस ज़मीन को लोग बंजर मान चुके थे, उसी ज़मीन ने एक किसान (Farmer) की किस्मत बदल दी। कहानी है मध्य प्रदेश के छिंदवाडा जिले के किसान राहुल देशमुख की, एक समय था जब खेत बंजर थे, कंधों पर ₹13 लाख का कर्ज (Loan) था और पिता का साया भी उठ चुका था। लेकिन राहुल देशमुख ने हालातों के आगे झुकने के बजाय, उन्हें मोड़ना सीख लिया और यहीं से उनकी नई शुरुआत हुई।

खेती नहीं, सोच बदली

राहुल देशमुख उन लोगों में से हैं जिन्होंने सिर्फ खेत में पसीना नहीं बहाया, बल्कि खेती को समझा, उसमें इनोवेशन लाया और फिर वो कर दिखाया जो आमतौर पर बड़ी कंपनियां ही कर पाती हैं। शुरुआत में जब उन्होंने खेती में कदम रखा, तो उनके पास ना तो मशीनें थीं, ना ही तकनीकी ज्ञान। परिवार में दुख का माहौल था, पिता का निधन हो चुका था, और खेत की हालत भी बहुत खराब।

लेकिन राहुल ने हार नहीं मानी। वे नासिक की एक एग्रीकल्चर कंपनी से ट्रेनिंग लेकर लौटे और तय किया कि अब खेती को पूरी तरह से प्रोफेशनल तरीके से करेंगे।

इन्हें भी पढ़े: राजस्थान के पुष्कर में देसी अंदाज से चल रहा दाल-बाटी-चूरमा ब्रांड, कमाई ₹1 लाख हर महीने!

कोकोपीट, पॉलीहाउस और वैज्ञानिक सोच

सबसे पहले राहुल ने मिट्टी की जगह कोकोपीट (Cocopeat) का इस्तेमाल शुरू किया, ताकि पौधों की जड़ें मजबूत बन सकें और उत्पादन तेज हो। इसके बाद उन्होंने अपने खेत में पॉलीहाउस (Polyhouse) बनवाया, यानी एक ऐसी संरचना जिसमें तापमान और नमी नियंत्रित रहती है। उन्होंने खुद ही कुएं और बोरवेल की खुदाई करवाई और सिंचाई की पूरी व्यवस्था खड़ी की।

नर्सरी से बनी पहचान

धीरे-धीरे राहुल ने सिर्फ खेती नहीं, बल्कि नर्सरी तैयार करनी शुरू की। वे सजावटी पौधे, फूल, फलदार पौधे और सब्ज़ियों की पौध तैयार करने लगे। खास बात यह रही कि उन्होंने पौधों की क्वालिटी पर फोकस किया, इसलिए उनकी नर्सरी (Nursery) की डिमांड बढ़ती चली गई।

आज उनकी पौध नासिक, पुणे, इंदौर और राजस्थान तक भेजी जाती है। किसान, शहरी ग्राहक और हॉर्टिकल्चर कंपनियां (Horticulture Companies) उनकी नर्सरी से सीधे पौधे खरीदते हैं।

इन्हें भी पढ़े: गरीब महिला ने खुद सीखी इंग्लिश, अब विदेशी टूरिस्ट बिज़नेस से रोज़ कमा रही ₹4000

13 लाख का कर्ज था, अब करोड़ों का टर्नओवर

शुरुआत में राहुल ने खेत सुधारने, पॉलीहाउस बनाने और रिसोर्स तैयार करने के लिए ₹13 लाख तक का कर्ज लिया था। लेकिन उनकी प्लानिंग और मेहनत रंग लाई। कुछ ही सालों में उन्होंने कर्ज उतार दिया और आज उनका सालाना टर्नओवर ₹2 करोड़ (Crore) से अधिक है।

राहुल देशमुख की खेती मॉडल

चरणविवरण
शुरुआती चुनौतीपिता का निधन, बंजर ज़मीन, ₹13 लाख कर्ज
पहला कदमनासिक से ट्रेनिंग, पॉलीहाउस की स्थापना
इनोवेशनमिट्टी के बजाय कोकोपीट, नर्सरी प्लान्टिंग
सफलतापौधों की बिक्री से ₹2 करोड़ सालाना टर्नओवर

राहुल देशमुख की कहानी यह बताती है कि अगर आप बुनियादी सोच को बदल दें और अपने काम में थोड़ी तकनीक, थोड़ी प्लानिंग और बहुत सारी मेहनत जोड़ दें तो सफलता कोई सपना नहीं रह जाती। उन्होंने दिखा दिया कि किसान सिर्फ खेती नहीं करता, वह भविष्य भी उगाता है।

इन्हें भी पढ़े: मामूली नौकरी से शुरुआत, अब खड़ी कर दी जमशेदपुर में 2 करोड़ की कंपनी!

अंतिम विचार

राहुल जैसे किसान आज युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि खेती में सिर्फ खेत की जरूरत नहीं होती, सोच और समझदारी हो तो कोई भी बंजर ज़मीन हरियाली से भर सकती है। अगर आपके पास भी कोई सपना है, तो आज से ही एक छोटा कदम उठाएं। हो सकता है कल आपकी कहानी भी किसी के लिए मिसाल बन जाए।

Disclaimer: यह आर्टिकल एक वास्तविक किसान की पब्लिक इंटरव्यू स्टोरी पर आधारित है। किसी भी व्यवसाय या कृषि मॉडल को अपनाने से पहले अपनी परिस्थितियों और संसाधनों का मूल्यांकन स्वयं करें।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

Leave a Comment